Hindi Moral Story “Patni Kiski Ho”, “पत्नी किसकी हो” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.

पत्नी किसकी हो

धर्मपुर नाम की एक नगरी थी। उसमें धर्मशील नाम का राजा राज करता था। उसके अन्धक नाम का दीवान था।

एक दिन दीवान ने कहा-“महाराज, एक मन्दिर बनवाकर देवी को बिठाकर पूजा की जाए तो बड़ा पुण्य मिलेगा।”

राजा ने ऐसा ही किया। एक दिन देवी ने प्रसन्न होकर उससे वर माँगने को कहा। राजा के कोई सन्तान नहीं थी। उसने देवी से पुत्र माँगा।

देवी बोली-“अच्छी बात है, तुझे बड़ा प्रतापी पुत्र प्राप्त होगा।”

कुछ दिन बाद राजा को एक लड़का हुआ। सारे नगर में बड़ी खुशी मनायी गयी।

एक दिन एक धोबी अपने मित्र के साथ उस नगर में आया। उसकी निगाह देवी के मन्दिर में पड़ी। उसने देवी को प्रणाम करने का इरादा किया। उसी समय उसे एक धोबी की लड़की दिखाई दी, जो बड़ी सुन्दर थी। उसे देखकर वह इतना पागल हो गया कि उसने मन्दिर में जाकर देवी से प्रार्थना की, “हे देवी! यह लड़की मुझे मिल जाये। अगर मिल गयी तो मैं अपना सिर तुझपर चढ़ा दूँगा।”

इसके बाद वह हर घड़ी बेचैन रहने लगा। उसके मित्र ने उसके पिता से सारा हाल कहा। अपने बेटे की यह हालत देखकर वह लड़की के पिता के पास गया और उसके अनुरोध करने पर दोनों का विवाह हो गया।

विवाह के कुछ दिन बाद लड़की के पिता के यहाँ उत्सव हुआ। इसमें शामिल होने के लिए न्यौता आया। मित्र को साथ लेकर धोबी और उसकी पत्नी चले। रास्ते में उसी देवी का मन्दिर पड़ा तो धोबी को अपना वादा याद आ गया।

उसने मित्र और स्त्री को थोड़ी देर रुकने को कहा और स्वयं जाकर देवी को प्रणाम कर के इतने ज़ोर-से तलवार मारी कि उसका सिर धड़ से अलग हो गया।

देर हो जाने पर जब उसका मित्र मन्दिर के अन्दर गया तो देखता क्या है कि उसके मित्र का सिर धड़ से अलग पड़ा है। उसने सोचा कि यह दुनिया बड़ी बुरी है। कोई यह तो समझेगा नहीं कि इसने अपने-आप शीश चढ़ाया है। सब यही कहेंगे कि इसकी सुन्दर स्त्री को हड़पने के लिए मैंने इसकी गर्दन काट दी। इससे कहीं मर जाना अच्छा है। यह सोच उसने तलवार लेकर अपनी गर्दन उड़ा दी।

उधर बाहर खड़ी-खड़ी स्त्री हैरान हो गयी तो वह मन्दिर के भीतर गयी। देखकर चकित रह गयी। सोचने लगी कि दुनिया कहेगी, यह बुरी औरत होगी, इसलिए दोनों को मार आयी इस बदनामी से मर जाना अच्छा है। यह सोच उसने तलवार उठाई और जैसे ही गर्दन पर मारनी चाही कि देवी ने प्रकट होकर उसका हाथ पकड़ लिया|

और तभी देवी ने कहा-“मैं तुझपर प्रसन्न हूँ। जो चाहो, सो माँगो।”

स्त्री बोली-“हे देवी! इन दोनों को जिन्दा कर दो।”

देवी ने कहा-“अच्छा, तुम दोनों के सिर मिलाकर रख दो।”

घबराहट में स्त्री ने सिर जोड़े तो गलती से एक का सिर दूसरे के धड़ पर लग गया। देवी ने दोनों को जिन्दा कर किया|

अब वे दोनों आपस में झगड़ने लगे। एक कहता था कि यह स्त्री मेरी है, दूसरा कहता मेरी।

इतनी कहानी सुनाने के बाद बेताल रूक गया।

कुछ देर बाद बेताल बोला- “हे राजन् विक्रम! बताओ कि यह स्त्री किसकी हो?”

राजा विक्रम ने कहा-“नदियों में गंगा उत्तम है, पर्वतों में सुमेरु, वृक्षों में कल्पवृक्ष और अंगों में सिर। इसलिए जिस शरीर पर पति का सिर लगा हो, वही पति होना चाहिए।”

इतना सुनकर बेताल फिर पेड़ पर जा लटका और राजा विक्रम बेताल को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागे।

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