Hindi Essay on “Manushya aur Vigyaan”, “मनुष्य और विज्ञान” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.
मनुष्य और विज्ञान
Manushya aur Vigyaan
‘विज्ञान’ का अर्थ है- विशेष ज्ञान। प्रकृति ने मनुष्य को बुधि प्रदान कर उसे पशुओं से भिन्न बनाया है। वह बुद्धि का प्रयोग कर नित्य नए नए आविष्कार कर रहा है। यही कारण है कि आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है। मनुष्य के जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान का प्रभाव लक्षित होता है। विज्ञान के विविध आविष्कारों को देखकर दाँतों तले उंगली दबानी पढ़ती है। यातायात के तीव्रगामी साधनों ने विश्व को बहुत निकट ला दिया है। संचार के साधनों में इतने आविष्कार हुए हैं कि मनुष्य घर बैठे विश्व के किसी भी कोने में बातें कर सकता है और फोन पर उनकी शक्ल तक देश सकता है। मोबाइल फ़ोन ने तो मनुष्य की दिनचर्या ही बदल कर रख दी है। इंटरनेट, ई-मेल, ब्लॉग आदि का अपना ही आनंद है। मनोरंजन के क्षेत्र में तो विज्ञान का ही बोलबाला है। वीडियो, कंप्यूटर ने मनोरंजन के नए-नए तरीके दिए हैं। सूचना के क्षेत्र में क्रांति हो रही है। संचार उपग्रहों के माध्यम से विश्व का कोई भी कोना कैमरे की आँख से अछूता नहीं है।
जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं – भोजन, वस्त्र, आवास, बिजली, पानी आदि की आपूर्ति में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है। कृषि-क्रांति विज्ञान के कारण ही संभव हो पाई है। औद्योगिक विकास का आधार भी विज्ञान ही है। विज्ञान की सहायता से ही गगनचुंबी इमारतों, पुलों, बाँधों आदि का निर्माण हो रहा है। मनुष्य को स्वस्थ रखने में भी विज्ञान की भूमिका निर्णायक है। बिजली के आविष्कार ने मानव-जीवन को बहुत आरामदायक बनाया है। अब वह घर बैठे शिमला की ठंडी हवा खा सकता है।
विज्ञान ने कंप्यूटर और इंटरनेट का आविष्कार करके मनुष्य के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की है। अब तक असंभव समझे जाने वाले काम अब संभव होने लगे हैं। अब तो घर बैठे अनेक काम हो जाते है। बिलों का भुगतान, बैंकिंग यहाँ तक कि परीक्षा भी इंटरनेट की कृपा से घर बैठे ही हो जाती है।
जहाँ विज्ञान इतना उपयोगी है, वहीं विज्ञान का दुरुपयोग भी हो रहा है। विज्ञान के अनेक आविष्कार ऐसे भी हैं जिनसे मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ता जा रहा है। उसके सिर पर परमाणु अस्त्रों का खतरा मँडराता रहता है। विज्ञान पर नैतिक अंकुश आवश्यक है। दिनकर जी ने ठीक ही लिखा है
सावधान मनुष्य, यदि विज्ञान है तलवार।
तो उसे दे फेंक, तजकर मोह-स्मृति के पार।