Hindi Moral Story “Cinderella”, “सिंड्रेला” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.
सिंड्रेला
एक समय की बात है एक प्यारी सी लड़की थी जिसका नाम था सिंड्रेला वह जब छोटी थी तब उसकी माँ गुजर गयी और उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। वह अब अपनी एक सौतेली माँ व दो सौतेली बहिनो के साथ रहती थी। उसकी सौतेली माँ उससे घर का सारा काम कराती थी उस पर अगर सिंड्रेला कुछ गलत करदे तो उसे खाना खाने को भी नही देती थी।
एक दिन उस राज्य के राज कुमार ने सभी नगर वासियो को नाच गाने के उत्सव पर आमंत्रित किया। यह सुन सिंड्रेला बहुत खुश हुई वह भी उस उत्सव में जाना चाहती थी। किन्तु जब उसकी सौतेली माँ को पता चला तो उसने सिंड्रेला को बहुत डाटा व मारा और घर का बहुत सा काम उससे करने को दिया जिससे वह उस उत्सव में न जा सके और वह अपनी दोना पुत्रियों के साथ उस उत्सव में चली गयी। सिंड्रेला बहुत देखि थी पर वह कर भी क्या सकती थी। उसने अपनी मरी हुई माँ को याद किया और रोने लगी। तभी एक तेज रौशनी के बीच एक सुन्दर सी परी आई
परी ने सिंड्रेला से कहा – “उठो बेटी में तुम्हारी माँ हू। में तुम्हे रोते हुए नही देख सकती। में तुम्हे उस उत्सव में लेजाने के लिए आई हू।”
यह सुन कर सिंड्रेला ने परी से कहा- “भला में वह कैसे जासकती हू। मेरे पास तो पहनने के लिए कपडे भी नही है।” तो परी ने अपनी जादुई छड़ी को घुमाया और सिंड्रेला को एक राजकुमारी के सामान सुन्दर वस्त्र पहना दिए जिसमे वह एक सुन्दर राजकुमारी ही लग रही थी और फिर पारी ने सिंड्रेला के जाने के लिए एक शाही बाघी को भी बुलाया|
सिंड्रेला को उसमे बैठा कर परी बोली – “सिंड्रेला एक बात याद रखना तुम्हे हर हाल में रात के बारह बजे से पहले घर लोटना होगा क्योकि रात के बारह बजते ही मेरा ये जादू ख़त्म हो जायेगा। ”
सिंड्रेला ने परी को – “हाँ कहा।” और उत्सव के लिए चल दी।
सिंड्रेला उस उतसव में सबसे सुन्दर और एक राजकुमारी लग रही थी राजकुमार केवल उसके साथ ही नाच रहा था। यह देख के उसकी सौतेली माँ व बहिनो को उससे जलन हो रही थी किन्तु वह उसे पहचान नही पाये थे वे उससे एक राजकुमारी ही समझ रहे थे।
इधर राजकुमार के साथ नाच करते करते उसे याद ही नही रहा और बारह बजगए। जब उसने घडी की आवाज सुनी तो वह वहां से भगति हुई निकल गयी किन्तु इस जल्द बाजी में उसके पाँव का एक जूता राजकुमार के पास ही रह गया। राजकुमार ने अपने सेनिको को आदेश दिया की नगर के सभी घरो की तलाशी ले और यह जूता जिसभी लड़की का होगा में उसी से शादी करूँगा।
ऐश आदेश मिलते ही सेनिको ने सभी घरो की तलाशी ली और फिर वे सिंड्रेला के घर भी जा पहुंचे। सिंड्रेला की बहिनो ने पूरी कोशिश की पर वह जूता उनके फिट नही आया और भिर सेनिको ने सिंड्रेला से भी जूता नापने को कहा और सब खुश हो गए वह जूता जो किसे के पेरो में नही आता था|
वह सिंड्रेला के पेरो में एकदम ठीक आगया था और फिर उसकी शादी राजकुमार से होगयी उसकी सौतेली माँ और बहिने अब उससे बहुत प्यार करती थी। सिंड्रेला अपने पति के साथ शुखी शुखी रहने लगी।