Hindi Essay on “Berojgari”, “बेरोजगारी” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.

बेरोजगारी

Berojgari

 

आजकल श्रमिक हो या अनवरत बौद्धिक श्रम करने वाला विद्वान, सभी बेरोजगारी के शिकार बने हए हैं। निरक्षर तो किसी तरह अपना पेट भर लेते हैं किंतु पढ़े-लिखों की स्थिति बहुत खराब है। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि हम स्वतंत्र तो हैं किंतु आर्थिक दृष्टिकोण से निश्चित रूप से परतंत्र हैं। एक सखी और संपन्न हे तो पचास दुखी और दरिद्र। ऐसा नहीं कि यह समस्या नई है। दवितीय महायदध से पहले यह समस्या भारत में विद्यमान थी। प्रश्न केवल यह है कि इस समय यह समस्या अपनी चरम-सीमा पर है।

शिक्षित व्यक्तियों की बेरोज़गारी का मुख्य कारण उचित शिक्षा व्यवस्था का अभाव है। यह दुख और चिंता का विषय है कि शिक्षा पर इतना पैसा खर्च करने पर भी उन्हें काम नहीं मिलता। आजकल शिक्षा के द्वार सभी के लिए खले हैं। बिना उपयुक्त योग्यता के विद्यार्थी वैज्ञानिक, इंजीनियर और अध्यापक बनने के लिए प्रयत्नशील हैं। परिणाम यह हुआ कि उत्पादन अधिक और उपभोक्ता कम। उधर प्रशिक्षण में योग्यता का चयन जैसा होना चाहिए, वैसा नहीं होता है।

बढ़ती हुई जनसंख्या ने बेरोजगारी की समस्या को और बढ़ा दिया है। साधन, मुविधाएँ और उत्पादन तो वही रहा, परंतु उपभोक्ता अधिक हो गए। उदाहरण के तौर पर घर में कमाने वाला एक हो और खाने वाले दस हों, तो दरिद्रता अवश्य आएगी। बस यही दशा भारतवर्ष की रही है। यहाँ की सामाजिक परंपरा भी इसका मुख्य कारण है। बहुत से नकारों ने भीख माँगना अपना व्यवसाय बना रखा है। जबकि साधु-सन्यासियों को दान देना पुण्य समझा जाता है। इस प्रकार के बेरोजगारों की संख्या भी दिन-रात बढ़ती जा रही है।

बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए हमें शिक्षा पद्धति में परिवर्तन लाना होगा। सैद्धातिक शिक्षा से काम नहीं चल सकता। शिक्षा व्यावहारिक होनी चाहिए। आरंभ से ही विद्यार्थियों में स्वावलंबन की भावना भरनी चाहिए। अन्य देशों में विद्यार्थी कमाते हैं और पढ़ते हैं। इसलिए भविष्य में उन्हें कोई कठिनाई नहीं उठानी पड़ती। भारत सरकार ने भी ऐसे कुछ शिक्षा केंद्रों का प्रबंध किया है। इन शिक्षा केंद्रों में प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं।

दूसरा तरीका यह है कि विदेशी सरकार ने जो भारत के घरेलू उद्योग-धंधों को नष्ट कर दिया था, उन्हें पुनः विकसित करना चाहिए। देश की जनसंख्या की वृद्धि को रोकना चाहिए। इसके लिए एक उपाय है एकाधिक संतान पर कर लगाने की व्यवस्था की जाए, जो कि चीन आदि देशों में लागू किया गया है और इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जितनी नगर वालों के सामने है, उतनी ही गाँव वालों के लिए भी हो गई है। भारत गाँवों का और कृषि प्रधान देश है। किसान वर्षा पर आश्रित रहते हैं। वर्षा के अभाव में अन्न का उत्पादन संभव नहीं। कुटीर उद्योग-धंधे चौपट हो गए हैं। खाली समय होने के कारण गाँव वाले नगरों में आ जाते हैं। एक बार आ जाने पर वे इतने सुविधाभोगी हो जाते हैं कि लौटकर गाँव की ओर जाना ही नहीं चाहते। इससे भी बेरोज़गारी बढ़ती है।

भारत सरकार ने इस समस्या को सलझाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। पंचवर्षीय योजनाओं से किसानों की स्थिति में सुधार हुआ है। देश के विभिन्न भागों में बड़े-बड़े कारखाने खोले जा रहे हैं। कारखानों से बेरोजगारों को काम मिल रहा है। देश निरंतर आगे बढ़ रहा है। अब भारतीय विदेशों में काम कर रहे हैं। मुझे आशा है कि निकट भविष्य में शीघ्र ही भारत की बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाएगी।

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