Hindi Essay, Nibandh on “सब दिन रहत न एक समान”, “Sab Din Rahat Na Ek Saman” Hindi Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10 and 12 Students.
सब दिन रहत न एक समान
परिवर्तन ही जीवन है। प्रकृति के हर क्षण में हमें परिवर्तन दिखाई देता है, जैसे सूर्य और चंद्रमा का उदय या अस्त होना, दिन और रात का होना, पेड़-पौधों पर फल-फूल लगना। ऋतुओं का आना-जाना सब परिवर्तन के अंतर्गत होता रहता है। इसी तरह व्यक्ति के जीवन में भी दु:ख-सुखों का चक्र निरंतर गतिमान रहता है, इसलिए व्यक्ति को कभी धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। सभी दिन एक तरह के नहीं रहते। कभी दु:ख है, तो कभी सुख। यही सब चलता रहता है। क्योंकि जीवन सुखों की सेज नहीं है। जीवन पथ पर अनेक कठिनाइयाँ आती रहती हैं और हमें अनेक प्रकार की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में मनुष्य को कभी भी घबराना नहीं चाहिए और आशा का दामन थामे रहना चाहिए। हिम्मत एवं आशावान व्यक्ति के आगे भाग्य भी घुटने टेक देता है, इसलिए यदि कभी बुरे दिन हैं, तो अच्छे दिन भी आएँगे।