Hindi Essay, Nibandh on “विद्यार्थी और फैशन”, “Students and Fashion” Hindi Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10 and 12 Students.
विद्यार्थी और फ़ैशन
फ़ैशन एक प्रकार की युग प्रवृत्ति है, जिसमें समय के साथ-साथ बदलाव आते रहते हैं तथा जिसका सीधा संबंध व्यक्ति की रुचि-बोध, कला-दृष्टि और सौंदर्य-चेतना से है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि दूसरों के सामने सुंदर, अत्याधुनिक, आकर्षक तथा मॉडर्न लगे फिर चाहे वह शारीरिक बनावट से सुंदर न भी हो। वह अपनी इस इच्छा को चल रहे फ़ैशन के अनुरूप परिधान तथा अन्य वस्तुएँ धारण करके पूरी करता है। फैशन मनुष्य की आदि प्रवृत्ति है। प्राचीन समय में भी नर और नारियाँ अपने आपको आकर्षक दिखाने के लिए नए-नए परिधान तथा आभूषण धारण किया करते थे और नारियाँ विभिन्न प्रकार की केश-सज्जा किया करती थीं और शरीर के विभिन्न अंगों को रोली. मेंहदी, काजल जैसी वस्तुओं का प्रयोग करके उन्हें आकर्षक बनाती थीं, इसीलिए एक बात स्पष्ट है कि व्यक्ति फ़ैशन से अलग नहीं रह सकता और किशोर और किशोरियों का मन मचलना स्वाभाविक है। वे अपने आपको आकर्षक दिखाने के लिए फैशन के दीवाने हो जाते हैं। सिनेमा, फ़िल्मी पत्रिकाएँ, पश्चिमी सभ्यता, टी०वी० सीरियल फैशन को बढावा देते हैं। विदयार्थी सिनेमा जगत के हीरो-हीरोइनों की वेशभूषा, केश-सज्जा तथा धारण किए गए वस्त्रों और आभूषणों की नकल करते हैं। बढ़ते हुए फैशन के कारण समाज में अनैतिकता, अनुशासनहीनता, नैतिक मूल्यों के पतन, धन के अपव्यय तथा चरित्रहीनता को बढ़ावा मिलता है। विद्यार्थियों का कर्तव्य है कि वे इस प्रकार के परिधान न पहनें, फैशन के नाम पर उसी पहनावे को अपनाएँ जिससे वह हास्यास्पद, भड़काने वाला तथा कामोद्दीपक न लगे।