Hindi Moral Story “Hmesha Acchai Ko Dekho”, “हमेशा अच्छाई को देखो” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.
किसान और दो घड़े
एक गाँव में एक किसान रहता था। वह रोज सुबह-सुबह उठकर दूर झरनें से साफ पानी लेने जाया करता था। इस काम के लिए वह अपने साथ दो बड़े घड़े ले जाया करता था। जिन्हें वह एक डण्डे में बाँधकर अपने कन्धे पर दोनों तरफ लटका कर लाया करता था।
उनमें से एक घड़ा कहीं से थोड़ा-सा फूटा था और दूसरा एकदम सही। इसी वजह से रोज़ घर पहुँचते-पहुँचते किसान के पास डेढ़ घड़ा ही पानी बच पाता था। ऐसा होना नई बात नहीं थी इसको दो साल बीत चुके थे। सही घड़े को इस बात का बहुत घमण्ड था, उसे लगता था कि वह पूरा का पूरा पानी घर पहुँचता है और उसके अन्दर कोई भी कमी नहीं है। वहीं दूसरी तरफ फूटा हुआ घड़ा इस बात से बहुत शर्मिंदा रहता था कि वह आधा पानी ही घर पहुँचा पाता है और किसान की मेहनत बेकार चली जाती है।
एक दिन की बात है वह बहुत दुःखी और उदास था जब परेशानी हद से बढ़ गई तो उसने फैसला किया कि वह किसान से माफी माँगेगा। किसान से बोला “मैं बहुत शर्मिंदा हूँ, मैं आपसे माफी माँगना चाहता हूँ” तो किसान ने पूछा “भाई तुम किस बात से शर्मिंदा हो” छोटे घड़े ने दुःखी होते हुए कहा “शायद आप नहीं जानते हैं, मैं एक जगह से फुटा हुआ हूँ।
पिछले दो सालों से मुझे जितना पानी पहुँचाना चाहिए था मैं सिर्फ उसका आधा ही पहुँचा पाया हूँ। मेरे अन्दर यह बहुत बड़ी कमी है। इस वजह से आपकी मेहनत बर्बाद होती रही हैं। किसान को घड़े की बात सुनकर बहुत दुख हुआ और बोला इतना परेशान होना भी ठीक नहीं है।
चलो तुम्हारी उदासी दूर करते हैं, एक काम करना कल जब तुम रास्ते से लौटो तो अपने टपकते पानी पर दुख करने के बजाय उस रास्ते में खिले हुए फूलों को देखना कितने खुशबूदार, कितने खूबसूरत, कितने प्यारे और साथ ही पास में छोटे-छोटे पौधे देखना।
घड़े ने किसान की बातें मनाने का फैसला किया। रास्ते भर सुन्दर फूलों का देखता हुआ आया। ऐसा करने से उसकी उदासी थोड़ा कम हुई, पर घर पहुँचते-पहुँचते उसके अन्दर से आधा पानी गिर चुका था। वह फिर से मायूस हो गया और किसान से क्षमा माँगने लगा।
किसान बोला “शायद तुमने रास्ते पर ध्यान नहीं दिया। रास्ते में जितने भी फूल थे, बस तुम्हारी तरफ ही थे।
सही घड़े की तरफ एक भी फूल नहीं थे। जानते हो ऐसा क्यों, क्योंकि मैं हमेशा से तुम्हारे अन्दर की कमी को जानता था, मैंने उसका लाभ उठाया। मैंने तुम्हारी तरफ वाले रास्ते पर रंग बिरंगे फूलों के बीज बो दिये थे। तुम थोड़ा-थोड़ा करके सींचते रहें और पूरे रास्ते को इतना खूबसूरत बना दिया।
आज तुम्हारी ही वजह से मैं इन फूलों को भगवान को अर्पित कर पाता हूँ, अपना घर सुन्दर बना पाता हूँ। तुम ही सोचो अगर तुम जैसे हो ऐसे ना होते तो भला क्या मैं यह सब कुछ कर पाता है।
शिक्षा/Moral:- दोस्तों हम सभी के अन्दर कोई ना कोई कमी होती है पर यही वो कमियाँ हैं जो हमें अनोखा बनाती हैं, हमें इंसान बनाती है। उस किसान की तरह हमें भी हर किसी को जैसा है वैसे ही स्वीकार करना चाहिए। उसकी अच्छाई की तरफ ध्यान देना चाहिए और जब हम ऐसा करेंगे तो फूटा घड़ा भी अच्छे घड़े से मूल्यवान हो जाएगा।