Hindi Letter on “Chote Bhai ko Fijulkharchi par niyantran karne ke bare me patra”, “छोटे भाई को फिजूलखर्ची पर नियंत्रण करने के बारे मे पत्र”
छोटे भाई को पत्र लिखते हुए समझाइए कि फिजूलखर्ची पर नियंत्रण हमारे आहार–विहार और चरित्र की बहुत बुराइयों पर अंकुश लगा देता है।
सी. 5/4, रमेश नगर,
नई दिल्ली ।
दिनांक…….
प्रिय भाई सचिन,
शुभार्शीवाद।
पत्र प्राप्त हुआ। पत्र में तुमने दो हजार रुपए भिजवाने का आग्रह किया है। मझे पता चला है कि तुम कुछ नए ढंग के कपड़े रीदना चाह रहे हो। तुम्हारी फिजूलखर्ची तुम्हें हर वक्त परेशान रखती है। तुम्हें अपनी फिजूलखर्ची पर नियंत्रण करना चाहिए। यह फजूलखर्ची मनुष्य के आहार-विहार और चरित्र को बुरी तरह प्रभावित करती है।
यदि तुमने अपनी फिजूलखर्ची पर नियंत्रण लगा लिया तो स्वतः ही तुम्हारे आहार-विहार और चरित्र पर अंकुश लग जाएगा। जब हाथ में काफी धन खर्चने को होता है तभी हमारी आदतें खराब होती हैं। हमारी सोच भी गड़बड़ा जाती है। आशा है तुम मेरी बातों को अन्यथा नहीं लोगे। मैं तुम्हें पतन की ओर जाने से रोकना चाहता हूँ। अभी मैं तुम्हें आवश्यक खर्चों के लिए पांच सौ रुपए भिजवा रहा हूँ। तुम अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाओ।
तुम्हारा शुभचिंतक
सौरभ