Hindi Essay on “Vigyapano se Ghira Hamara Jeevan”, “विज्ञापनों से घिरा हमारा जीवन” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.
विज्ञापनों से घिरा हमारा जीवन
Vigyapano se Ghira Hamara Jeevan
आज का युग विज्ञापनों का युग है। जिस ओर दृष्टि, डालो, विज्ञापन ही विज्ञापन नज़र आते हैं। चाहे दूरदर्शन के कार्यक्रम हों अथवा सड़कों के चौराहें हों, चारों ओर विज्ञापनों की भरमार है। प्रत्येक कार्यक्रम से पहले, बीच में तथा अंत में विज्ञापन दिखाए जाते हैं। विज्ञापनों के लिए कार्यक्रमों में ब्रेक लिया जाता है। कभी-कभी तो यह ब्रेक बोरियत पैदा करने लगता है।
विज्ञापनों का उद्देश्य होता है- उपभोक्ताओं को नए-नए उत्पादों से परिचित करना। उत्पादक अपने उत्पादों में कुछ-न-कुछ परिवर्तन करते रहते हैं तथा उसके नए-नए रूप बाजार में उतारते रहते हैं। कई बार इन उत्पादों के गुणों को बहुत बढ़ा-चढ़कार कर प्रचारित किया जाता है, तब वे विज्ञापन उपभोक्ताओं को भ्रमित करने का काम करते हैं। ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सरकार की है।
विज्ञापनों का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। हम विज्ञापनों के आकर्षक जाल में फँस जाते हैं और विज्ञापित वस्तु को खरीदने के लिए लालायित हो जाते हैं। कई बार हमें नए-नए उत्पादों का पता विज्ञापन के माध्यम से ही चलता है। वैसे विज्ञापनों का एकमात्र उद्देश्य अपने उत्पादों की बिक्री को बढाना और अधिकाधिक लाभ कमाना ही होता है। विज्ञापन बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हैं।
विज्ञापनों के लाभ और हानि दोनों ही हैं। विज्ञापन जहाँ हमारी जानकारी बढ़ाते हैं, वहीं ये फिजूलखर्ची को भी बढ़ावा देते हैं। विज्ञापित वस्तु की जितनी गुणवत्ता दर्शायी जाती है, वास्तव में वह होती नहीं। विज्ञापन लोगों को भ्रमित करते हैं। विज्ञापन स्त्रियों को बहुत लुभाते हैं। वे सौंदर्य प्रसाधनों के मोहक जाल में उलझ जाती हैं और आर्थिक हानि के साथ-साथ शारीरिक हानि भी उठाने को विवश हो जाती हैं। विज्ञापनों में अश्लीलता भी भरपूर होती है। विज्ञापनों ने नग्नता एवं हिंसा को बढ़ावा दिया है। विज्ञापन संबंधी स्पष्ट नीति बनाई जानी चाहिए। झूठे विज्ञानों पर सरकारी नियंत्रण होना चाहिए तथा उनसे संबंधित कंपनियों को दंडित किया जाना चाहिए। विज्ञापन का दुरुपयोग रोका ही जाना चाहिए।