Hindi Essay on “Horse”, “घोड़ा” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.
घोड़ा
Horse
श्रेणी, प्राप्ति
स्थान-घोड़ा बचपन में दुग्धपान करता है, इसलिए स्तनपायी श्रेणी का चतुष्पद जंत है। गाय के समान यह जगाली नहीं करता, अपितु एक बार ही चबाकर चारा-दाना खा जाता है। यह प्रायः सभी स्थानों में पाया जाता है, तो भी अरब के घोड़े सुंदरता में और इंगलिस्तान के घोडे मजबती में प्रसिद्ध हैं। कई स्थानों में घोड़े का कद छोटा होता है। इसे टटू कहते हैं। जारकंद और ब्रह्मा के टटू प्रसिद्ध हैं।
गठन, आकार
घोड़े की गर्दन पर लंबे बाल होते हैं और पूँछ गुच्छेदार खुरों तक लटकी होती है। कई इसे छोटा भी कर देते हैं। घोड़े के खुर गाय के समान फटे हुए नहीं होते। इनके नीचे लोहे के नाल जड़ देते हैं ताकि इन्हें कहीं चोट न आ जाए। इसकी पीठ की बनावट ऐसी होती है कि सवार को बैठने में कोई असुविधा न हो। इसका शरीर सुडौल और बलिष्ठ होता है। यह सभी वर्गों का होता है।
स्वभाव, भोजन
घोड़ा बड़ा स्वामिभक्त जंतु है, कई बार इसने अपनी जान देकर भी स्वामी की रक्षा की है। महाराणा प्रतापसिंह का चेतक नाम का घोड़ा इसीलिए प्रसिद्ध है। घोड़ा कष्टों की परवाह नहीं करता। लोग इसे दुलकी, मोइया, सरपट आदि अनेक चालें चलना सिखाते हैं। घोड़े की आयु तीस-चालीस वर्ष की होती है। यह मांसाहारी नहीं है, मांस के सिवा प्रायः और सभी पदार्थ खा सकता है, तो भी घास इसका मुख्य भोजन है। इसको अधिक बलवान बनाने के लिए चना, मलीदा आदि देते हैं।
जंगली, शिक्षित
जंगली घोड़े दक्षिणी अमरीका में पाए जाते हैं। लोग उन्हें पकडकर शिक्षित करते हैं। शिक्षित होकर ये इतना सध जाते हैं कि अनेक दुःसाध्य और विस्मयजनक कार्य करने लगते हैं। ये सर्कसों में ऐसे खेल करते हैं जिनको देखकर बद्धि चकरा जाती है। इनकी स्फूति और निपुणता देखते ही बनती है।
उपकार
घोड़े हर तरह की सवारी के काम आते हैं। ताँगा, फिटन आदि गाड़ियों में जोते जाते हैं, बहुत भारी बोझ भी ढोते हैं। पाश्चात्य ‘ देशों में इनसे हल भी चलवाए जाते हैं। सेना का यह अब तक प्रधान अंग रहा है। तोपखानों और घुड़सवार सेना में घोड़े ही अब तक काम आते रहे हैं। घोड़े के चमड़े से बहुत चीजें बनाई जाती हैं। हड्डियों से खिलौने और खुरों से सरेस बनाई जाती है। कभी-कभी यह बहुत हानि भी पहुंचाता है। जब कभी यह स्वामी से रुष्ट हो जाता है तो उसे पीठ से नीचे तक गिरा देता है।
विशेष विवरण
भारत में घोड़े का उपयोग बहुत प्राचीन काल से होता रहा है। अश्वमेध यज्ञ का वर्णन बहुत पुराने शास्त्रों में आया है। यहाँ विवाह के समय वर को घोड़ी पर बिठाकर वधू-गृह को ले जाते हैं। जैसे आजकल इसके लिए अश्व चिकित्सालय (Veterinary Hospital) खुले हैं, ऐसे प्राचीन काल में भी थे।