Hindi Essay on “Dahej Pratha – Ek Samajik Abhishap”, “दहेज प्रथाः एक सामाजिक अभिशाप” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.

दहेज प्रथाः एक सामाजिक अभिशाप

Dahej Pratha – Ek Samajik Abhishap

भारतीय समाज एक सर्वगुण संपन्न समाज है। यहाँ के रीति-रिवाज प्रायः अन्य देशों से भिन्न हैं। परंतु इन रीतियों में कुछ कुरीतियाँ भी हैं, जो न सिर्फ हमारे लिए वरन् समस्त भारतीय समाज के लिए कलंक हैं। जाति-पाँति, छुआछूत और दहेज जैसी कुप्रथाओं के कारण न सिर्फ हमारा सिर लज्जा से झुक जाता है, बल्कि इन कुरीतियों के कारण ही हम विश्व में उन्नति के पथ पर पिछड़ गए हैं। समय-समय पर अनेक राजनेताओं और समाज सुधारकों ने इन्हें मिटाने के लिए भरसक प्रयास किए, किंतु इनका समूल नाश नहीं हो सका है।

इन कुरीतियों में दहेज प्रथा एक ऐसी कुरीति है जिसने समय-समय पर हमें शर्मसार किया है। दहेज से अर्थ-विवाह के दौरान वधू पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिए जाने वाले उपहारों से है।

प्राचीन काल में दहेज देना अनिवार्य नहीं था, वधू के माता-पिता एवं सखी-सहेलियाँ अपनी खुशी से कछ वस्तु उपहार स्वरूप दिया करते थे और वर पक्ष उन्हें पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ ग्रहण करता था। परंत आज इस रीति में परिवर्तन आ गया है। इस रीति ने आज एक कुरीति का रूप ले लिया है।

आज दहेज कन्या के विवाह का अभिन्न अंग बन गया है। कन्या की श्रेष्ठता सौंदर्य और कुशलता से नहीं बल्कि दहेज से ऑकी जाने लगी है। कन्या की कुरूपता और कुसंस्कार दहेज के आवरण में आच्छादित हो गए हैं। परिणामस्वरूप गुणवती और शिक्षित कन्याओं का विवाह दहेज के अभाव में नहीं हो पता । इसी कारण कन्याओं को परिवार पर वोझ समझा जाने लगा और बहुत सुशील और शिक्षित कन्याएँ अविवाहित जीवन जीने पर मजबूर हो गई हैं। इतना ही नहीं, अब महिलाओं का गर्भ परीक्षण कराया जाने लगा है, जिससे यह पता चल जाता है कि पैदा होने वाला शिशु लड़का है या लड़की। कुछ लोग गर्भ में कन्या होने पर गर्भपात करा देते हैं जिससे लड़की को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है।

आज प्रतिदिन समाचार-पत्र पढ़ने पर अनेक ऐसी घटनाएं सामने आती हैं कि किसी ने महिला को जलाकर मार डाला, स्टोव फटने से नवविवाहिता की मृत्यु, ससुरालियों से तंग आकर नवविवाहिता ने खुदखुशी की, पति और सास-ससुर ने नवविवाहिता को पीट-पीटकर मार डाला आदि। आज यह समाचार आम हो गए हैं, परंतु इन समाचारों को विस्तृत ढंग से पढ़ने पर हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। किस प्रकार दहेज रूपी दानव एक मनुष्य को सचमुच निर्मम और राक्षस बना देता है।

आज इस कुरीति का मख्य कारण यह भी है कि हम लड़की को लड़के के बराबर नहीं समझते। वर पक्ष वाले समझते हैं कि हमने वधू पक्ष पर बहुत बड़ा अहसान किया है। वह समाज की निर्मात्री इन सभी यातनाओं को झेलती हुई मौन बनी रहती है और हमारा समाज इन वास्तविक स्थितियों को जानकर भी अनदेखा कर देता है।

आज इस कुरीति को समाप्त करने के लिए हम सभी को जागरूक होना चाहिए। नवयुवकों को स्वयं आगे आकर दहेज का विरोध करना चाहिए। नारियों को चाहिए कि वे आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होकर दहेज प्रथा की इस समस्या को समाप्त करें। इसके अतिरिक्त सरकार को दहेज लोभियों के विरुद्ध कठोर कानून बनाने चाहिए। आओ, हम सब मिलकर इस कुप्रथा को समाप्त कर एक उन्नत समाज की स्थापना करें।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.