Hindi Essay on “Bharat ki Atanwad Samasya”, “भारत की आतंकवाद समस्या” Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7, 8, 9, 10 Students.
भारत की आतंकवाद समस्या
Bharat ki Atanwad Samasya
आज विश्व अनेक प्रकार की विषम समस्याओं से घिरा है। पिछले कुछ दशकों से जिस समस्या ने विश्व को सर्वाधिक भयभीत किया है, वह है आतंकवाद। आज विश्व के प्रमुख देश- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, भारत आदि आतंकवाद की चपेट में हैं। इन देशों के समाचार-पत्र आतंकवाद की घटनाओं से भरे रहते हैं। रेलगाड़ी में विस्फोट, आतंकवादियों द्वारा लोगों की हत्या, सीमापार से आतंकवादियों की घुसपैठ, आतंकवादियों और सेना की झड़प, आतंकवादियों द्वारा राष्ट्रीय प्रतिष्ठानों पर हमलों की धमकी आदि की सुर्खियों से समाचार-पत्र रंगे दिखाई देते हैं। आतंकवाद आज भारत की ही नहीं अपितु एक अंतर्राष्ट्रीय समस्या बन चुका है।
आतंक का अर्थ है- ‘भय’ जनता में भय फैलाने वालों को आतंकवादी कहा जाता है। आतंकवादी अपने स्वार्थपर्ण राजनैतिक, सामाजिक अथवा धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोगों में भय उत्पन्न करते हैं। वे निरीह लोगों की हत्या करके, सार्वजनिक स्थलों पर बम विस्फोट करके, सरकारी संपत्ति को हानि पहुँचाकर, अपनी तोड़-फोड़ की कार्यवाही द्वारा समाज में आतंक फैलाते हैं। इस कारण जन-जीवन हर क्षण भयभीत और अस्त-व्यस्त बना रहता है।
आतंकवाद वास्तव में अतिवाद का दुष्परिणाम है। बेरोजगारी, अशिक्षा, सामाजिक-आर्थिक विषमताएँ राजनैतिक स्वार्थ, शक्तिशाली देशों द्वारा निर्बल देशों के प्रति उपेक्षा का व्यवहार, क्षेत्रवाद, धर्माधता, भाषायी मतभेद, भौगोलिक एवं ऐतिहासिक कारण, सांस्कृतिक टकराव, प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता, स्वार्थी मनोवृत्ति आदि आतंकवाद के प्रमुख कारण हैं।
भारत को जिस प्रकार के आतंकवाद से जूझना पड़ रहा है, वह भयावह और चिंतनीय है। स्वतंत्रता प्राप्ति के तत्काल बाद ही विदेशी शह से आतंकवादी सक्रिय हो उठे थे। इसका दुष्परिणाम यह है कि आज कश्मीर का एक बहुत बड़ा भाग पाकिस्तानी कबाइलियों और पाक सैनिकों के हाथों में पहुँच गया। आज कश्मीर में आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है। वहाँ के मूल निवासी अपने ही देश में शरणार्थी बन गए हैं।
कश्मीर के साथ-साथ पंजाब तथा नागा पहाड़ी क्षेत्र, मिजोरम, सिक्किम, असम आदि क्षेत्रों में आतंकवादियों ने आतंक फैला रखा है। आतंकवाद के कारण सदा भय और तनाव का वातावरण बना रहता है। कानून व्यवस्था भंग हो गई है। जहाँ कहीं भी आतंकवादी सक्रिय हैं, वहाँ की सामान्य जनता का जीवन प्रायः ठप्प है। वहाँ अगर कोई हलचल दिखाई पड़ती है तो बस आतंकवादियों को पकड़ने, उनकी गतिविधियों को निष्क्रिय करने में लगी सुरक्षा एजेंसियों के जवानों की। आतंकवाद को नेस्तनाबूद करने के लिए बड़ी मात्रा में धन व्यय हो रहा है, जिससे विकास कार्यों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन क्षेत्रों में विकास कार्य लगभग ठप्प हैं।
हर आतंकवादी संगठन मानवता का दुश्मन है फिर चाहे वह उल्फ़ा हो, लिट्टे हो, कश्मीर उग्रवादी संगठन हो, तालिबान हो या अलकायदा। विश्व के समस्त देशों को एकजुट होकर आतंकवाद को कुचलना होगा। तभी संसार आतंकवाद से मुक्त होकर मानवता के विकास की ओर अग्रसर होगा।