Hindi Essay, Nibandh on “लड़का-लड़की एक समान”, “Ladka Ladki Ek Saman” Hindi Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10 and 12 Students.

लड़का-लड़की एक समान

हमारे देश में लड़के का जन्म आनंदसूचक होता है और लड़की का जन्म दुःख एवं चिंता का कारण। हमारे शास्त्रों में पुत्र को वंश बढ़ाने वाला, बुढ़ापे का सहारा तथा धार्मिक विश्वास के अनुसार पिता का दाह-संस्कार करने का अधिकारी कहा जाता है। लड़की के जन्म के साथ माता-पिता को उसके विवाह की चिंता सताने लगती है। दहेज़ प्रथा के अभिशाप के कारण कन्याएँ माता-पिता पर बोझ बन जाती हैं। इस कारण लड़कियों के लिंग अनुपात में भारी गिरावट आती जा रही है। आज के संदर्भ में लड़कियों को अपने माता-पिता पर बोझ नहीं कहा जा सकता क्योंकि वे आत्मनिर्भर हैं; अत: लड़के-लड़की में अंतर करना समाज को दुर्बल बनाना है। यह कथन अत्यंत समीचीन एवं सामयिक लगता है-‘लड़का-लड़की एक समान, दोनों से ही घर की शान।’

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