Hindi Moral Story “Lombdi aur Bagula”, “लोमरी और बगुला” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.
लोमरी और बगुला
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी रहा करते थे| सभी जानवर आपस में मिलजुल कर रहते थे| एक बार एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी| घूमते घूमते उसकी मुलाकात एक सारस से हो गई| धीरे धीरे दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदल गई| दोनों पक्के दोस्त बन गए| एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा हमारी दोस्ती काफी दिनों से है पर हमने कभी भी एक दुसरे को दावत नहीं दी| कल को में तुम्हे दावत देना चाहता हूँ, तुम मेरे घर दावत पर जरुर आना| सारस ने उसकी दावत का निमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया| अगले दिन सारस सही समय पर लोमड़ी के घर दावत लेने पहुँच गया| लोमड़ी ने भी उसका स्वागत किया| खाने में लोमड़ी ने स्वादिष्ट खीर बनाई थी| जब खाने का समय हुआ तो लोमड़ी एक चौड़े बर्तन में खीर परोस कर ले आई| दोनों खाने लगे| सारस की चोंच इस में डूब नहीं रही थी इस लिए खीर का आनंद नहीं ले सका| लोमड़ी फटाफट सारी खीर चाट गई|
सारस बिचारा भूखा ही रह गया| सारस लोमड़ी की चालाकी को समझ गया| सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची| फिर एक दिन सारस ने भी लोमड़ी को अपने घर दावत देने की सोची| उसने लोमड़ी को दावत का निमंत्रण दे दिया| लोमड़ी ने भी दावत कोसहर्ष स्वीकार कर लिया| अगले दिन लोमड़ी बड़े चाव से सारस के घर दावत उड़ाने चली गई| सारस ने भी उसकी मनपसंद खीर बनाई थी| जब खाने का समय आया तो सारस एक पतले मुंह वाले बर्तन में खीर परोस कर ले आया और लोमड़ी को खाने का आग्रह किया| जब लोमड़ी खाने लगी तो उसकी जीभ खीर तक पहुंची ही नहीं| सारस ने अपनी लम्बी चौंच से सारी खीर डकार ली| लोमड़ी बेचारी को भूखे पेट ही रहना पड़ा और अपने किए पर काफी पछतावा भी हुआ| इसी लिए कहते है कि जो जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए|