Hindi Moral Story “Kshanik Lobh” “क्षणिक लोभ” Best Motivational Story of “Guru Nanak Dev Ji”.
क्षणिक लोभ
Kshanik Lobh
एक बार एक स्त्री ने गुरु नानक से प्रार्थना की, “महाराज, आप हमारे घर पधारकर हमें कृतार्थ करें।” जब नानकदेव उसके घर गए, तो वह एक कटोरे में हँडिया का दूध डालने लगी। तब सारी-की-सारी मलाई कटोरे में गिर गई। यह देख उसके मुँह से ‘अरे, अरे’ शब्द निकल पड़े। फिर दूध में चीनी डालकर उसने वह कटोरे नानकदेव के सामने रख दिया। गुरु नानक उस स्त्री को उपदेश देने लगे। स्त्री ने सोचा कि शायद दूध गरम होगा, इसलिए वे दूध पी नहीं रहे हैं, किन्तु उपदेश समाप्त होने पर भी जब उन्होंने दूध की ओर ध्यान नहीं दिया, तो वह बोली, “महाराज दूध पी लीजिए।”
नानकदेव बोले, “इसमें क्या-क्या है?”
“दूध और चीनी ।”
“नहीं, इसमें एक चीज और है, इसलिए इसे मैं नहीं पी सकता।” “मैंने तो इसमें और कोई भी चीज नहीं मिलाई है।”
“मिलाई है और वह है ‘अरे-अरे !’ इसी कारण मैं इसे नहीं पी सकता।”
यह सुन उसे पश्चात्ताप हुआ। उसने मन में उठे क्षणिक विचारों के लिए क्षमा माँगी और नानकदेव को दूसरा दूध दिया।