Hindi Moral Story “Kamna ka Bandhan”, “कामना का बंधन” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.
कामना का बंधन
Kamna ka Bandhan
बहुत समय पहले की बात है| किसी शहर में एक ब्यापारी रहता था| उस ब्यापारी ने कहीं से सुन लिया कि राजा परीक्षित को भगवद्कथा सुनने से ही ज्ञान प्राप्त हो गया था| ब्यापारी ने सोचा कि सिर्फ कथा सुन ने से ही मनुष्य ज्ञानवान हो जाता है तो में भी कथा सुनूंगा और ज्ञानवान बन जाऊंगा| कथा सुनाने के लिए एक पंडित जी बुलाए गए| पंडित जी से आग्रह किया कि वे ब्यापारी को कथा सुनाएं| पंडित जी ने भी सोचा कि मोटी आसामी फंस रही है| इसे कथा सुनाकर एक बड़ी रकम दक्षिणा के रूप में मिल सकती है| पंडित जी कथा सुनाने को तयार हो गए| अगले दिन से पंडित जी ने कथा सुनानी आरम्भ की और ब्यापारी कथा सुनता रहा| यह क्रम एक महीने तक चलता रहा| फिर एक दिन ब्यापारी ने पंडित जी से कहा पंडित जी आप की ये कथाएँ सुन कर मुझ में कोई बदलाव नहीं आया, और ना ही मुझे राजा परीक्षित की तरह ज्ञान प्राप्त हुआ| पंडित जी ने झल्लाते हुए ब्यापारी से कहा आप ने अभी तक दक्षिणा तो दी ही नहीं है, जिस से आप को ज्ञान की प्राप्ति नहीं हुई| इस पर ब्यापारी ने कहा जबतक ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती तबतक वह दक्षिणा नहीं देगा| इस बात पर दोनों में बहस होने लगी| दोनों ही अपनी अपनी बात पर अड़े थे| पंडित जी कहते थे कि दक्षिणा मिलेगी तो ज्ञान मिलेगा और ब्यापारी कहता था ज्ञान मिलेगा तो दक्षिणा मिलेगी| तभी वहां से एक संत महात्मा का गुजरना हुआ| दोनों ने एक दूसरे को दोष देते हुए उन संत महात्मा से न्याय की गुहार लगाई| महात्मा ज्ञानी पुरुष थे| उन्हों ने दोनों के हाथ पांव बंधवा दिए और दोनों से कहा कि अब एक दोसरे का बंधन खोलने का प्रयास करो| बहुत प्रयास करने के बाद भी दोनों एक दूसरे को मुक्त कराने में असफल रहे| तब महात्मा जी बोले पंडित जी ने खुद को लोभ के बंधन में और ब्यापारी ने खुद को ज्ञान कि कामना के बंधन से बांध लिया था| जो खुद बंधा हो वह दूसरे के बंधन को कैसे खोल सकता है| आपस में एकात्म हुए बिना आध्यात्मिक उद्देश्य कि पूर्ति नहीं हो सकती है|