Hindi Moral Story “Billi ka Panja”, “बिल्ली का पंजा” for Kids, Full length Educational Story for Students of Class 5, 6, 7, 8, 9, 10.
चार व्यापारी मित्र
गंगा नदी के किनारे कंचनपुर नामक एक गाँव बसा हुआ था। उस गाँव में अनेक तरह के काम – धाम करने वाले लोग रहते थे। उस गाँव में चार बहुत ही अच्छे मित्र रहते थे, उनका नाम गंगाधर, लीलाधर, मुकेश और संजय था। वे रुई का व्यापार करते थे।
एक बार उनके गोदामों में बहुत सारे चूहे रहने लगे। वे प्रतिदिन बहुत सारा रुई खराब कर देते थे। उन्हें रोज चूहो की वजह से रुई का बहुत नुकसान हो रहा था। एक दिन वे इसका कुछ उपाय ढूंढने के लिये सलाह करने आये।
गंगाधर बोला- मित्रों…चूहों ने हमारा बहुत नुकसान किया हैं। हमें इसका कोई उपाय सोचना चाहिये।
मुकेश ने कहा- हाँ…..यह सही बात हैं। में तो कहता हूँ कि चलो चूहों को पकड़ने वाले पिंजरा खरीद लेते हैं।
लीलाधर बोला- पिंजरा नहीं तो चूहों को मारने की दवाई ही खरीद लेते हैं। उससे चूहे मर जाएँगे।
संजय ने कहा- दोस्तों, जब चूहों को मारना ही हैं तो सबसे अच्छा हमें एक बिल्ली पाल लेनी चाहिये। बिल्ली चूहों को मार कर खा भी जायेगी और हमें कुछ खरीदना भी नहीं पड़ेगा।
बिल्ली पालने की बात सबको बहुत अच्छी लगी, उन्होंने एक बिल्ली पाल ली और उसका एक – एक पंजा आपस में बांट लिया।
गंगाधर ने आगे का दायाँ पंजा लिया।
लीलाधर ने आगे का बायाँ पंजा लिया।
पीछे का दायाँ पंजा मुकेश और,
बायाँ पंजा संजय ने लिया।
अब चारों बिल्ली के एक-एक पंजे की देखभाल करने लगे। बिल्ली रोज चूहों को खाने लगी। उनके गोदामों में चूहों की संख्या कम होने लगी, यह देख चारों मित्र बहुत खुश थे।
एक दिन बिल्ली के आगे के दायाँ पैर में कुछ चोट लग गयी, उस पैर की देखभाल गंगाधर कर रहा था। उसने बिल्ली के पैर में थोड़ा तेल लगाकर एक कपड़े से बांध दिया। बिल्ली को कुछ आराम हुआ, वह फिर चलने लगी।
रात के समय बिल्ली गोदामों में चूहे की तलाश कर रही थी, उसकी नजर एक चूहे पर गयी। बिल्ली ने उसे झपट्टा मारा, लेकिन वह चूहा भाग गया। अब बिल्ली उसका पीछा करने लगी, चूहा भागते – भागते एक जलते हुये दीपक के पास से गुजरा, बिल्ली भी उसका पीछा कर रही थी।
जैसे ही बिल्ली उस दीपक के पास से गुजरी तभी बिल्ली के पैर में जहाँ तेल और कपड़ा बंधा हुआ था, वहाँ पर आग ने पकड़ लिया। अब बिल्ली आग से छटपटा कर भागने लगी, वह घबराकर इधर से उधर भाग रही थी। उसके भागने से पूरे गोदाम में आग लग गयी।
उसी समय गंगाधर को यह बात पता चली- उसने तुरंत बिल्ली को बचा लिया, लेकिन गोदाम में रखी सारी रुई जल गयी। अब तीनों दोस्त गंगाधर पर आरोप लगाने लगे। उनका कहना था कि बिल्ली के जिस पंजे से आग लगी हैं वह गंगाधर का हैं।
इसलिए गंगाधर ही अपराधी हैं, उसे ही नुकसान की भरपाई करनी चाहिये। लेकिन गंगाधर ने इनकी बात मानने से मना कर दिया, अब चारों शिकायत लेकर गाँव के पंचायत पहुँचे।
पंचायत के लोगों ने इनकी बात सुनी, और फिर कहा- देखो, गंगाधर के हिस्से का जो पंजा था आग उसमें लगी थी। लेकिन अकेला पंजा तो नहीं चल सकता हैं। तुम तीनों के हिस्से के पंजा ने ही गंगाधर के हिस्से के पंजे को चलाया इसलिये नुकसान की भरपाई अकेले गंगाधर नहीं करेगा। वह अपराधी नहीं हैं। गलती तुम चारों की हैं। इसलिए नुकसान की भरपाई भी तुम चारों मिलकर करोगे। पंचायत के फैसले से सभी सहमत हो गये, फैसले से गंगाधर बहुत खुश था।