Hindi Essay, Nibandh on “भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार”, “Bharat me Badhta Bhrashtachar” Hindi Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10 and 12 Students.
भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार
‘भ्रष्टाचार’-दो शब्दों के मेल से बना है- ‘भ्रष्ट’ + आचार’। इस आधार पर भ्रष्ट या पतित आचरण या व्यवहार ही भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार में वे सभी बातें शामिल हो जाती हैं, जिनमें मतलबपरस्ती या स्वार्थपरता आ जाती है। जिन्हें समाज में आचारहीन कहा जाता है तथा जिन से लोगों को कष्ट पहुँचता है। रिश्वतखोरी, कालाबाजारी. मिलावट, कर्तव्यविमुखता, जमाखोरी, भाई-भतीजावाद-ये सभी भ्रष्टाचार के स्वरूप हैं। भ्रष्टाचार की जननी हैस्वार्थपरता। आज भ्रष्टाचार की समस्या इतनी गंभीर हो गई है कि कोई भी काम रिश्वत दिए बिना नहीं होता। व्यक्ति का नैतिक पतन तथा अधिक-से-अधिक धन कमाने की कुत्सित प्रवृत्ति से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। यद्यपि भ्रष्टाचार की समस्या विश्वव्यापी है तथापि हमारे देश में स्थिति अत्यंत गंभीर है। आज जिधर देखें उधर ही आदर्शहीनता, अनैतिकता, रिश्वतखोरी तथा घोटाले हैं। नीचे से ऊपर तक सभी इसकी चपेट में हैं। बड़े-बड़े राजनेता भी इसमें लिप्त हैं। कोई किसी घोटाले में फँसा है, तो कोई अन्य में। ऊपर से सफ़ेदपोश दिखने वाले ये राजनेता भ्रष्टाचार से अछूते नहीं हैं। भ्रष्टाचार के कारण अनेक समस्याओं का जन्म होता है, जिनमें अनुशासनहीनता, अनैतिकता, राष्ट्रीय चरित्र का ह्रास, नैतिक मूल्यों का पतन, अपराधवृत्ति का बढ़ना तथा समाज में असुरक्षा की भावना प्रमुख है। भ्रष्टाचार के कारण ही आज कानून तथा न्याय व्यवस्था चरमरा गई है। इस समस्या का समाधान आसान नहीं है, पर युवाओं में नैतिक मूल्यों के संवर्धन से भविष्य में यह कुछ हद तक हल हो सकती है।