सब दिन रहत न एक समान परिवर्तन ही जीवन है। प्रकृति के हर क्षण में हमें परिवर्तन दिखाई देता है, जैसे सूर्य और चंद्रमा का उदय या अस्त होना, दिन और रात का होना, पेड़-पौधों पर फल-फूल लगना। ऋतुओं का आना-जाना...
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना इस सूक्ति का अर्थ है-जहाँ सुमति होती है अर्थात् सदविचार होते हैं, वहाँ अनेक प्रकार के सुख एवं समृद्धि स्वयं आ जाती है। सुमति का प्रभाव व्यक्ति के चरित्र पर सकारात्मक पड़ता है और वह चरित्रवान...
राष्ट्रभाषा हिंदी प्रत्येक स्वाधीन राष्ट्र की एक राष्ट्रभाषा अवश्य होती है, जो शासन शिक्षा का माध्यम तथा राष्ट्र के गौरव की पहचान होती है। जब भारत स्वतंत्र हुआ, तो देश का संविधान नहीं था। भारत का संविधान बनने में लगभग दो-ढाई...
बड़े शहर में जीवन जिन शहरों की आबादी लाखों में होती है, उन्हें ‘महानगर’ कहा जाता है। भारत में दिल्ली, कोलकाता, मुंबई तथा चेन्नई को महानगरों की कोटि में रखा गया है। महानगरों का जीवन अनेक रूपों में मनुष्य के लिए...
विद्यार्थी और फ़ैशन फ़ैशन एक प्रकार की युग प्रवृत्ति है, जिसमें समय के साथ-साथ बदलाव आते रहते हैं तथा जिसका सीधा संबंध व्यक्ति की रुचि-बोध, कला-दृष्टि और सौंदर्य-चेतना से है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि दूसरों के सामने सुंदर, अत्याधुनिक, आकर्षक...
महँगाई की समस्या आज के युग ने अनेक समस्याओं को जन्म दिया है, जिनमें महँगाई की समस्या भी प्रमुख है। जब जीवनोपयोगी वस्तुएँ अधिक मूल्यों पर उपलब्ध होती हैं, विक्रेता या उत्पादक अधिकाधिक लाभ कमाने के लिए वस्तुओं के मूल्य में...
भारत में बेरोज़गारी की समस्या जब काम करने के इच्छुक लोगों को अपनी जीविका चलाने के लिए उपयुक्त काम नहीं मिलता, तो इस स्थिति को ‘बेरोजगारी’ कहा जाता है। बेरोजगारी के अनेक रूप हो सकते हैं-कुछ लोग वर्ष में कुछ महीने...
दहेज़ प्रथा की समस्या दहेज प्रथा का शुभारंभ एक सात्विक प्रथा के रूप में किया गया था। लाड-प्यार से पाली-पोसी पुत्री ससुराल में जाकर सुख-समृद्धि की वर्षा करे तथा वह समदधि बढ़ाने वाली लक्ष्मी सिदध हो, इसीलिए कन्या के पिता विवाह...
पर्यावरण प्रदूषण हमारे आस-पास का प्राकृतिक वातावरण जिसमें हम रहते हैं-‘पर्यावरण’ कहलाता है। इस प्राकृतिक वातावरण का दूषित हो जाना या इसका संतुलन विकृत हो जाना ही प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण की वृद्धि का कारण मनुष्य द्वारा प्रकृति के साथ मनचाही...
भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार ‘भ्रष्टाचार’-दो शब्दों के मेल से बना है- ‘भ्रष्ट’ + आचार’। इस आधार पर भ्रष्ट या पतित आचरण या व्यवहार ही भ्रष्टाचार कहलाता है। भ्रष्टाचार में वे सभी बातें शामिल हो जाती हैं, जिनमें मतलबपरस्ती या स्वार्थपरता आ...