सहशिक्षा सहशिक्षा का अर्थ है-साथ शिक्षा ग्रहण करना। जिन शिक्षण संस्थानों में छात्र और छात्राएँ साथ-साथ अध्ययन करते हैं, उन्हें ‘सहशिक्षा संस्थान’ कहा जाता है। सहशिक्षा के संबंध में विद्वानों, विचारकों के विभिन्न मत हैं। सहशिक्षा के समर्थकों का तर्क है...
मेरा जीवन लक्ष्य ‘इस पथ का उद्देश्य नहीं है, श्रांत भवन में टिक रहना, किंतु पहुँचना उस सीमा तक, जिसके आगे राह न हो।‘ कविवर प्रसाद की इन्हीं पंक्तियों पर विचार करने के बाद मैंने गहन विचार-मंथन किया, तो तय किया...
कक्षा में अध्यापक की भूमिका भारतीय संस्कृति में गुरु को अत्यंत सम्मानित दर्जा दिया गया है। एक अध्यापक ही बालक की अंतनिहित एवं सुप्त योग्यताओं एवं शक्तियों को जाग्रत करके उसे एक प्रबुद्ध, संस्कारित तथा कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनाता है। कक्षा में...
चरित्र बल ‘चरित्र’ से आशय है-व्यक्ति का चाल-चलन या जीवनयापन की पद्धति। चरित्र व्यक्ति के व्यक्तित्व का दर्पण है, इसीलिए चरित्र को आदतों का समूह कहा गया है, जिसमें अनेक गुणों का समावेश है। चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है,...
यदि मेरी लॉटरी लग जाए सृष्टि के सभी चराचरों में मानव को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि केवल उसी में बौदधिक क्षमता. चेतना तथा सोचने-विचारने की शक्ति है। अपनी कल्पना शक्ति के सहारे केवल वही अपने भविष्य के प्रति अनेक प्रकार...
भारतीय किसान भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ की 70% से भी अधिक जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। गाँवों में बसते-भारत के किसान। पंत जी ने ठीक ही कहा था-‘है अपना हिंदस्तान कहाँ, वह बसा हमारे गाँवों में।’ भारत...
शिक्षक दिवस शिक्षक को राष्ट्र-निर्माता कहा जाता है तथा यह देश की प्रगति का आधार है। प्राचीन काल में गुरु को ईश्वर तुल्य समझा जाता था। कबीर ने तो गुरु को गोविंद से भी बड़ा माना, परंतु आज दुर्भाग्य से शिक्षकों...
समाचार-पत्र की उपयोगिता मानव स्वभाव से जिज्ञासु, चिंतनशील तथा मानसिक एवं बौधिक शक्तियों से युक्त है। वह अपने आस-पास और दूर-सुदूर की घटनाओं को जानने का इच्छुक रहता है। समाचार-पत्र के विकास के पीछे भी मानव का यही जिज्ञासु स्वभाव उत्तरदायी...
शिक्षक दिवस समारोह शिक्षक दिवस प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस वर्ष विद्यालय में मुझे शिक्षक दिवस पर प्रधानाचार्य की भूमिका निभाने का अवसर मिला। मैंने सभी अध्यापकों को विषयानुसार कार्य सौंपे तथा प्रशासनिक कर्मचारियों को उनके पद...
भारतीय समाज में नारी Women in Indian Society नारी प्रकृति का एक वरदान है। वह सृष्टि की निर्मात्री, मातृत्व की गरिमा से मंडित, करुणा की देवी, ममता की स्नेहमयी मर्ति तथा त्याग एवं समर्पण की साक्षात् प्रतिमा है। गृह की...